Sunday 2 December 2018

बंटवारे पर बदलें बचावी विदेशनीति, तभी अमन चैन


👉करतारपुर कोरिडोर के उद्घाटन अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा श्रीयुत इमरान खान द्वारा कुछ विवादित मुद्दों के उल्लेख को अनावश्यक, नकारात्मक व चिंताजनक मानना भारी नीतिगत भूल है। मोहम्मद इमरान खान के अनेक अवसरों पर विवादों पर दिए गए ऐसे बयान भारत को अच्छा अवसर प्रदान कर रहे हैं जिनकी इस देश का भावुक नेतृत्व बार बार अनदेखी किए जा रहा है। बर्लिन की दीवार तो बनने के तीस सालों बाद ही  1991 में ही ढहा दी गयी। कश्मीर, खालिस्तान, बलूचिस्तान, सिन्ध आदि की समस्याओं का समाधान यही है कि 1947-48 के भारतीय उप महाद्वीप के विभाजन की राजनीतिक व मानसिक दीवारों को तो ढहा ही दिया जाय।
👉बंटवारे के बाद इकहत्तर सालों में यदि पाकिस्तान पश्चिमी यूरोप के छोटे देशों की भांति समृद्ध व खुशहाल हो गया होता और भारत खस्ताहाल रह गया होता तो मान लेते कि बंटवारा सही कदम था। पर भारत की अपेक्षा आबादी का आधा घनत्व रखने वाले पाकिस्तान को वहां के नेतृत्व ने जिस तरह बार बार गुमराह कर उसे खस्ताहाल और दीवालिएपन की हालत में पहुंचा दिया, यह साम्प्रदायिक आधार पर भारत के विभाजन को एकदम गलत साबित करता है। अतः द्विपक्षीय व वैश्विक स्तर पर सभी सम्पर्कों में दुनिया में आतंकवाद व अशांति के समाधान के लिए विभाजन की दीवार को गिराना पहली राजनीति व कूटनीतिक प्राथमिकता होनी चाहिए। इन्सान मंगल और बृहस्पति पर पहुंच जा रहा है तो विभाजन का निरस्तीकरण असम्भंव तो नहीं है। जो विभाजन  सत्तर सालों से विश्वशांति के लिए खतरा बना हुआ है, जो अल-कायदा, तालिबान, लश्कर और ISIS के उदय का निमित्त है उसके निरस्तीकरण में ही देश और दुनिया की भलाई है।
👉भारतीय नेतृत्व को ऐसे अवसरों को हर मंच पर खूब भुनाना चाहिए भले ही अवसरवादिता का तमगा लगे। भारतीय नेतृत्व को चाहिए कि अमन चैन के इच्छुक सभी देशों पर दबाव बनाए कि पाकिस्तान की एक संम्प्रभु राष्ट्र की मान्यता समाप्त करें और भारत सरकार को यह कदम पहले ही उठा लेना चाहिए। भारत के नक्शे में पाकिस्तान को अपने देश का अभिन्न पर बाधाग्रस्त क्षेत्र/disturbed area दिखाना चाहिए ताकि विवाद पैदा कर बारम्बार सफाई दी जाय कि बिना ऐसा कदम उठाए दुनिया में शांति और सौहार्द्र की बातें खोखली हैं। एक स्वतंत्र पाकिस्तान के बने रहना दुनिया के अमन चैन के लिए सबसे बड़ा खतरा है। भारत के विदेश नीति व सैन्य नीति बचाव की मुद्रा में रखने की जरूरत नहीं है।
👉इमरान भारत के अच्छे दोस्त हैं और हमें बात को हर कहीं ले जाने का अच्छा अवसर दे रहे हैं। भारत में शांति होगी तो ही दुनिया में शांति स्थापित हो सकेगी।
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💐डा० रवि प्रताप सिंह, आचार्य, दी. द. उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय एवम् प्रगतिशील भोजपुरी समाज